Saturday, April 28, 2007

भगत सिंह की कलम से

  • '' साम्राज्‍वाद मनुष्‍ के हाथों मनुष्य के और राष्‍ट्र के हाथों राष्‍ट्र के शोषण का चरम है साम्राज्‍वादी अपने हितों और लूटने की योजनाओं को पूरा करने के लिए सिर्फ न्‍यायालयों एवं कानून को कत्‍ल करते हैं, बल्कि भयंकर हत्‍याकांड भी आयोजित करते हैं''
  • ''क्रांतिकारी अपने मानवीय प्‍यार के गुणों के कारण मानवता के पुजारी हैं हम शाश्‍वत और वास्‍तविक शांति चाहते हैं, जिसका आधार न्‍याय और समानता है हम झूठी और दिखावटी शांति के समर्थक नहीं जो बुजदिली से पैदा होती है और भालों और बंदूकों के सहारे जीवित रहती है''
  • ''मुझे फांसी की सजा मिली है, मगर तुम्‍हें उम्रकैद तुम जिंदा रहोगे और जिंदा रहकर तुम्‍हें दुनिया को यह दिखा देना है कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए सिर्फ मर ही नहीं सकते बल्कि जिंदा रहकर हर तरह की यातनाओं का मुकाबला भी कर सकते हैं'' (बटुकेश्‍वर दत्‍त के नाम पत्र, सेंट्रल जेल- लाहौर से: 10 अक्‍टूबर)

2 comments:

  1. This is an appreciable effort.. very few people remember those great Heroes. A salute to them.

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  2. भाई आपने शहीदेआजम के संबंध में जानकारी का चिटठा खोला इसके लिए बधाई

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