Monday, April 23, 2007

हमारी बात

भगत सिंह जन्म शताब्दी का आयोजन- कुछ जरूरी बातें

28 सितम्बर, 2006 से शहीदे-आजम भगत सिंह की जन्म शताब्दी शुरू हो चुकी हैअगले एक वर्ष तक पूरे देश में और दुनिया में जहाँ भी न्यायपूर्ण समाज की रचना के लिए लड़नेवाले जनतंत्र प्रेमी, स्वातंत्रयकामी, धर्मनिरपेक्ष लोग हैं, उनके द्वारा भगत सिंह की जन्मशताब्दी धूम-धाम से मनायी जा रही हैयह वर्ष 1857 की जंगे-आजादी की 150 वीं जयंती का वर्ष भी है, साथ ही हमारी आजादी की 60 वीं सालगिरह का वर्ष भीभारत की आजादी की लड़ाई में गाँधी और भगत सिंह- दो ऐसे नाम हैं जिनके बीच के वैचारिक संघर्ष की कहानी के बिना, आजादी की कहानी अधूरी रहेगीयह कहानी अधूरी रहेगी, अगर हम इस लड़ाई में भारत के अनगिनत दलितों-शोषितों-महिलाओं की भूमिका को भूल जाएँभगत सिंह तो जैसे आत्म बलिदान, देशप्रेम, विचार निष्ठा, साहस और युवा-जोश के प्रतीक बन गये हैंमहज 23 साल की उम्र में फाँसी के फंदे को चूमनेवाले इस साहसी युवा क्रांतिकारी की छोटी-सी जूझती हुई जीवन-अवधि जैसे बिजली की कौंध की तरह उभरी, जिसने अपने समय के साम्राज्यवादी गुलामी के घटाटोप को अपने आलोक से चीर दिया, साथ ही जिसकी रोशनी से आज के इस अँधेरे युग में भी हमें मुक्ति का रास्ता दिखता हैभगत सिंह राष्ट्र की वेदी पर शहीद हो गए, जैसे अनगिनत देशभक्त जुल्मी सत्ता के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए यह शहादत तो भगत सिंह को हमारा नायक बनाती ही है, उससे भी बढ़कर साम्राज्यवाद से उनकी समझौता विहीन लड़ाई, उनकी अडिग वैचारिक प्रतिबद्धता, समाजवाद के स्वप्नद्रष्टा के रूप में उनका विकास आज भी उन लोगों के लिए आलोक स्तंभ का काम करता है, जो यह मानते हैं कि भूमंडलीकरण के इस युग में भी साम्राज्यवाद के जाल को काटकर नई न्यायपूर्ण दुनिया बनाई जा सकती है

भगत सिंह से हमें वैचारिक विमर्श की एक पुख्ता विरासत मिली हैअसेंबली बम-कांड के बाद अपनी गिरफ्तारी के समय से लेकर फाँसी तक जेल की कोठरी में बिताए गए अपने दो वर्ष के समय को भगत सिंह ने सच्चे अर्थों में एक विचारधारात्मक लड़ाई का रूप दे दियाआज भी दुनिया बदलने की लड़ाई में शामिल लोगों के लिए जेल की कोठरी और ब्रिटिश अदालत में चलाया गया उनका वैचारिक संघर्ष एक मिसाल हैखुद ब्रिटिश सरकार के कटघरे में खड़े होकर जैसे भगत सिंह ने पूरे साम्राज्यवाद और अमानवीय पूँजीवादी शोषण-तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दियाअदालत में दिए गए उनके जोशीले वैचारिक वक्तव्य, जेल में लिखी गई उनकी डायरी और लेख, हितैषियों-मित्रों को लिखे गए उनके पत्र, नौजवान क्रांतिकारियों के नाम दिए गए उनके आखिरी संदेश, जेल की कोठरियों में गाए जानेवाले उनके क्रांतिकारी गीत- अब सब कुछ प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में उपलब्ध हैयह दस्तावेज हर उस नई आनेवाली युवा-पीढ़ी के लिए किसी वैचारिक शस्त्रागार से कम नहीं, जो अपने समय, समाज और सत्तातंत्र को बदलने के लिए रास्ता टटोल रही हैशायद यही वजह है कि आजादी की लड़ाई के इतिहास में भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के संघर्ष और विचार को वैसी जगह नहीं मिली, जो नई पीढ़ी को उनकी विरासत से परिचित करातीदरअसल, भगत सिंह के विचार ही हमें बार-बार उनकी तरफ ले जाते हैंभगत सिंह अपने पत्रों-लेखों में बार-बार उर्दू का एक शेर उद्धृत करते थे, जो इस बात की मिसाल है कि हिंसा, शोषण, दमन-चक्र पर टिकी राजसत्ता किसी को मार तो सकती है, लेकिन उसके सपने और विचार कभी नहीं मरते-

हवा में रहेगी मेरे ख्य़ाल की बिजली,
ये मुश्ते-खा़क है फानी, रहे रहे, रहे

भगत सिंह और उनके साथी ब्रिटिश अदालत में बार-बार दो नारों का जोश से उद्घोष करते - 'साम्राज्यवाद का नाश हो` और 'इंकलाब जिंदाबाद`! साम्राज्यवाद इस इक्कीसवीं शताब्दी में और भी विकट रूप में हमारे सामने है और भारतीय समाज को आमूल-चूल बदलने के लिए 'इंकलाब` के जरिए देश में मजदूरों-किसानों की वास्तविक राजसत्ता कायम करने का काम अब भी अधूरा हैवह सपना अधूरा है, जो भगत सिंह और उनके तमाम क्रांतिकारी साथियों ने देखा, जो आज भी हमारी नींद में हमें दस्तक देता हैहिंसा, युद्ध, मानव द्वारा मानव के शोषण, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, साम्प्रदायिकता, जातिवाद का खात्मा कर एक सच्चे समाजवादी समाज की स्थापना का सपनाकेवल गोरे शासकों से मुक्ति नहीं, काले-भूरे शासकों से मुक्ति हमारा लक्ष्य है- भगत सिंह कहा करते थे कि जब तक एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र एवं मानव द्वारा मानव का शोषण जारी रहेगा, तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगीभगत सिंह की जन्मशताब्दी के मौके पर वर्ष-भर चलने वाले आयोजन के मूल में उनके वे ही सपने और वैज्ञानिक विचार हैं

इसी पस मंजर पटना में में भगत सिंह जन्मशताब्दी आयोजन समिति का गठन किया गयाइसके तहत पटना शहर में कई आयोजन किये गये
समिति का प्राथमिक लक्ष्य भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के विचारों का प्रचार-प्रसार हैइस लक्ष्य को पाने के लिए समिति के निम्नलिखित कार्य कर रही है :-
() सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में अगुआ भूमिका निभाने वाले संभावनापूर्ण युवक-युवतियों को बड़े पैमाने पर अपनी समिति के कार्यक्रम से जोड़ना, उनके वैचारिक प्रशिक्षण और अध्ययन की व्यवस्था करना, जिसके लिए शहर के अलग-अलग मुहल्लों-वार्डों को चिह्नित कर वहाँ स्वायत्त ढंग से भगत सिंह स्टडी सर्किल की स्थापना करना एवं उन अघ्ययन-केन्द्रों के संचालन के लिए सक्रिय भूमिका निभाना
() भगत सिंह के विचारों और सपनों से समाज के सभी तबकों को जोड़ने के लिए व्यापक जागरूकता-अभियान चलाना, जिसके अंतर्गत कार्यशाला, लोकप्रिय व्याख्यान, सभा, जुलूस, पुस्तिका-प्रकाशन, पोस्टर, चित्र-प्रदर्शनी, फिल्म-उत्सव, सेमिनार एवं ऐसे ही अन्य कार्यक्रम आयोजित करना जो समाज में परिवर्तनकामी जागरूकता उत्पन्न करने में सहायक हों
() भगत सिंह के वैचारिक एवं व्यावहारिक ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए स्कूलों-कॉलेजों में विशेष आयोजन करना, जैसे राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन, भारत में क्रांतिकारी आंदोलन-संबंधी क्विज, भाषण, चित्रकला आदि विभिन्न प्रतियोगिताएँ
() भगत सिंह एवं उनके साथियों से संबंधित दस्तावेजों, चित्रों, लेखों, पत्रों के प्रकाशन की व्यवस्था करना एवं उन्हें प्रचारित-प्रसारित करना
(.) पटना शहर एवं राज्य के अन्य स्थलों के साथ ही देश भर में एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चलने वाले भगत सिंह से संबंधित कार्यक्रम एवं विभिन्न आयोजन समितियों से संपर्क स्थापित करना और उन्हें अपने कार्यक्रम की जानकारी देनाउपर्युक्त विभिन्न समितियों के बीच तालमेल स्थापित करना एवं चुनिंदा कार्यक्रम के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करना
() भगत सिंह एवं उनके साथियों के विचार, कार्यक्रम एवं लक्ष्यों के अनुरूप एवं उनके आलोक में समय-समय पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घटनेवाली विभिन्न घटनाओं की व्याख्या करना और सार्थक हस्तक्षेप करना
() भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन से संबंधित घटनाओं का एक प्रामाणिक कैलेंडर प्रकाशित करना एवं उसका शहर-भर में वितरण करना
() वर्ष भर की उन अनेक तिथियों को चिहि्नत करना, उन पर प्रभावी कार्यक्रम की परिकल्पना करना, जो भगत सिंह और उनके साथियों के जीवन में निर्णायक बनीं, जैसे-जालियाँवाला बाग कांड-13 अप्रैल, काकोरी ट्रेन डकैती-9 अगस्त, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना- 8-9 सितंबर, साइमन कमीशन-बायकाट-30 अक्टूबर, असेंबली बम-कांड-8 अप्रैलद्ध आदि- आदिभगत सिंह के जन्मदिवस-28 सितम्बर को विशेष दिवस के रूप में मनाना
() 23 मार्च-भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की शहादत के दिन विशेष आयोजन पटना के पूरे नागरिक समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शहर में लगभग 100 अस्थायी शहीद-वेदियों का निर्माण करना, जहाँ नागरिक पुष्पांजलि अर्पित करें
() शहर की विभिन्न नाट्य संस्थाओं, कवियों-नाट्यकारों- चित्रकारों-संगीतकारों-गायकों को वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रम की कड़ी में छोटे-बड़े नए नाट्यालेखों, पेंटिंग्स, गीतों, धुनों को तैयार करने के लिए प्रेरित करना एवं उनके मंचन-प्रदर्शन-प्रस्तुति के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना
() अपने कार्यक्रम, लक्ष्य एवं उद्देश्य के प्रचार-प्रसार के लिए परंपरागत साधनों के अलावा नए तकनीकी संचार-माघ्यमों के उपयोग पर विशेष बल देना, जैसे -मेल, एसएमएस-अभियान चलानाइंटरनेट का उपयोग करने वालों के बीच इस आयोजन को ले जाने के लिए एक वेबसाइट का निर्माण करना

केन्द्रीय असेंबली-कक्ष में भगत सिंह का चित्र लगाओ

हम राज्य एवं केन्द्र सरकार को आठ-सूत्री माँगों का ज्ञापन सौंप रहे एवं उन मांगों की पूर्ति के लिए धरना-जुलूस-प्रदर्शन जैसे आंदोलनकारी कदम भी उठायेंगेआठ-सूत्री मांग निम्नलिखित हैं :-
(1) केन्द्रीय असेंबली-कक्ष में भगत सिंह का चित्र लगाओ
(2) इतिहास की पुस्तकों में भगत सिंह एवं उनके क्रांतिकारी साथियों की जीवनी, संघर्ष एवं विचारों को पूरी जगह दो
(3) २३ मार्च- भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत के दिन को 'राष्ट्रीय शहीद दिवस` घोषित करो
(4) भगत सिंह पर डाक टिकट जारी करो
(5) भगत सिंह और उनके साथियों के लेखों-पत्रों-संंस्मरणों का प्रामाणिक संस्करण सस्ती दर पर उपलब्ध कराओ
(6) पटना जंक्शन के निकट भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु की प्रतिमा लगाओ
(7) पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में ''भगत सिंह शोध-केंद्र`` की स्थापना करो
(8) पटना जिलाधिकारी के आवास के सामने के पार्क को १८५७ स्मृति पार्क घोषित करो और उस स्थल पर शहीद हुए पीर अली की मूर्ति स्थापित करो
(9) आयोजन समिति द्वारा तीन या चार उन तिथियों को निर्धारित करना, जिन पर केन्द्रीय स्तर पर वृहद् समारोह आयोजित किया जाएऊपर वर्णित अन्य कार्यक्रम को समिति के तत्वावधान में कोई भी संगठन, समूह एवं व्यक्ति अपनी पहल पर स्वतंत्र ढंग से कर सकता है, ऐसे स्वतंत्र कार्यक्रम के लिए समिति द्वारा आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना
(10) आयोजन समिति को एक सक्षम संसाधन केन्द्र के रूप में विकसित करना
(11) आजादी के पहले के अविभाजित भारत, पाकिस्तान बांग्लादेश के महत्वपूर्ण विद्वानों को अपने कार्यक्रम में समय-समय पर आमंत्रित करना
(12) विशेष रूप से किशोरों और बच्चों को ध्यान में रखकर रुचिकर पुस्तिकाएँ, सचित्र प्रकाशित करना


जावेद अख्‍तर खॉं
संयोजक

2 comments:

  1. bhagat singh ko laal salaam !! lekin comred , kuch apna bhi likhiye, hindi me aaye hain to hindi apnaiyie

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  2. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है। नए चिट्ठाकारों के स्वागत पृष्ठ पर अवश्य जाएं।

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