Monday, September 03, 2007

लाहौर में भगत सिंह का स्मारक

चलिये देर से ही सही, लोगों को लगा तो कि भगत सिंह की शहादत हिन्‍दुस्‍तान-पाकिस्‍तान की साझी विरासत है। वरना भगत सिंह की जन्‍म शताब्‍दी का साल गुज़रा जा रहा था, लेकिन भगत सिंह जहां पैदा हुए और भगत सिंह के विचार जहां परवान चढ़े, वहां की सुध किसी को नहीं थी। जी हां, मैं सैंतालिस के पहले के हिन्‍दुस्‍तान और आज के हिन्‍दुस्‍तान-पाकिस्‍तान की बात कर रहा हूँ। भगत सिंह फैसलाबाद में पैदा हुए थे, वैचारिक परवरिश लाहौर में पाई और शहादत भी इसी माटी पर दी। ये सब जगह अब पाकिस्‍तान में है। भगत सिंह की शहादत को याद करने का इससे अच्‍छा तरीका और क्‍या हो सकता है कि भारत-पाक मिलकर उनकी जत्‍म शताब्‍दी मनायें। सरकारी तौर पर तो अभी यह मुमकिन नहीं लगता पर दोनों मुल्‍कों के लोग ज़रूर कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस बीच, पाकिस्‍तान के अखबार 'डेली टाइम्‍स' ने एक अच्‍छी खबर दी है। लाहौर में दियाल सिंह रिसर्च एंड कल्‍चरल फोरम ने भगत सिंह पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस आयोजन में भारत के प्रतिनिधि भी शामिल थे। सेमिनार में पाकिस्‍तानी पंजाब के गर्वनर सेवानिवृत्‍त लेफ्टीनेंट जनरल खालिद रशीद ने वादा किया कि भगत सिंह की याद में एक स्‍मारक बनाया जायेगा। यह भी तय हुआ कि रिसर्च के बाद भगत सिंह से जुड़ी चीज़ों की नुमाइश लाहौर संग्रहालय में लगायी जायेगी। खालिद ने भगत सिंह के कामों की तारीफ की और उनकी कुर्बानी को नौजवानों के लिए प्रेरणा देने वाला बताया। इस मौके पर दियाल सिंह रिसर्च एंड कल्‍चरल फोरम के निदेशक जाफर चीमा ने जानकारी दी कि भगत सिंह को शहीद का खिताब मौलाना जाफर अली खान ने दिया था।

इस सेमिनार की पूरी ख़बर डेली टाइम्‍स पर पढने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें-
Memorial will be built to Bhagat Singh, says governor

2 comments:

  1. बहुत अच्छी खबर. भगत सिंह पहले आकर जा चुके थे पाकिस्तान तो बाद में आया.

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  2. इस जानकारी को पढ कर मन बहुत खुश हुआ -- शास्त्री जे सी फिलिप

    मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
    2020 में एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!

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